व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> मित्रता का महत्व मित्रता का महत्वएलन लॉय मैक्गिनिस
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जिन लोगों को आप जानते हैं उनके क़रीब कैसे आये!..
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कुछ लोगों के अनगिनत दोस्त होते हैं– उनका रहस्य क्या है ? आप
किस तरह लोगों के क़रीब आ सकते हैं ? सफल विवाह की कुंजी क्या है ?
धर्मगुरु और परामर्शदाता एलन लॉय मैक्गिनिस बताते हैं कि मित्रता का महत्व
क्या है और मित्र कैसे बनाए जा सकते हैं।
प्रसिद्ध लोगों के जीवन के उदाहरणों और रोचक बातों के ज़रिये लेखक हमें बताते हैं कि प्रेम कैसे किया जाए और प्रेम हासिल कैसे किया जाए।
यह सीखें कि किस तरह आप दूसरों का दिल जीत सकते हैं, किस तरह बेहतर संवाद कर सकते हैं, किस तरह अपने रिश्तों को तनावमुक्त कर सकते हैं। यहाँ जो सिद्धांत बताए गए हैं वे पति-पत्नी, मित्रों, माता-पिता और बच्चों सभी संबंधों में सफलतापूर्वक लागू किए जा सकते हैं।
प्रसिद्ध लोगों के जीवन के उदाहरणों और रोचक बातों के ज़रिये लेखक हमें बताते हैं कि प्रेम कैसे किया जाए और प्रेम हासिल कैसे किया जाए।
यह सीखें कि किस तरह आप दूसरों का दिल जीत सकते हैं, किस तरह बेहतर संवाद कर सकते हैं, किस तरह अपने रिश्तों को तनावमुक्त कर सकते हैं। यहाँ जो सिद्धांत बताए गए हैं वे पति-पत्नी, मित्रों, माता-पिता और बच्चों सभी संबंधों में सफलतापूर्वक लागू किए जा सकते हैं।
अध्याय 1
मित्रता के ढेर सारे फ़ायदे
ज़िंदगी का क़िला मित्रताओं से मज़बूत होता है। प्रेम करना और पाना इंसान
के जीवन का सबसे महान सुख है।
–सिडनी स्मिथ
क्या आपने कभी सोचा है कि कई लोग अपने आस-पास के लोगों के चहेते क्यों बन
जाते हैं ? कई लोगों के इतने ज़्यादा मित्र क्यों होते हैं ? कई साधारण से
दिखने वाले लोगों की तरफ़ अपोज़िट सेक्स के लोग इस तरह क्यों खिंचते हैं,
जिस तरह लोहा चुंबक की तरफ़ खिंचता है ? कई बिज़नेस एक्ज़ीक्यूटिव्ज़ यूँ
तो ज़्य़ादा सफल नज़र नहीं आते हैं, मगर उनके वफ़ादार मित्रों की संख्या
बहुत ज़्यादा होती है।
हो सकता है ऐसे लोग अमीर हों, हो सकता है अमीर न हों। हो सकता है ये लोग बहुत बुद्धिमान या उच्च-शिक्षित हों, हो सकता है न हों। बहरहाल उनके व्यक्तित्व में कोई न कोई ऐसी बात होती है, जिसकी वजह से वे लोकप्रिय होते हैं और लोग उन्हें पसंद करते हैं। यही मित्रता का तत्व है।
परामर्शदाता के रूप में मुझे इंसानी रिश्तों की खिड़की में से झाँकने का मौक़ा मिला है। मैंने हज़ारों लोगों से उनके अंतरंग संबंधों के बारे में चर्चा की है। मैंने ग़ौर से देखा है कि सफल प्रेमी क्यों और कैसे सफल होते हैं और मैंने उनके रहस्य जाने हैं। इस पुस्तक का लक्ष्य आपको इन्हीं रहस्यों के बारे में बताना है।
मित्रता का तत्व आपको अंतरंग संबंधों का विशेषज्ञ बना सकता है
हमारे क्लीनिक में किये रिसर्च में हमने पाया कि मित्रता वह स्प्रिंगबोर्ड है, जिससे बाक़ी सभी तरह का प्रेम उत्पन्न होता है। मित्रता जीवन के बाक़ी सभी महत्तवपूर्ण संबंधों का आधारभूत तत्व है। जिन लोगों की किसी से मित्रता नहीं होती, वे किसी भी क़िस्म का प्रेम करने में तुलनात्मक रूप से कम सक्षम होते हैं। वे कई बार विवाह करते हैं, अपने परिवार के सदस्यों से दूर हो जाते हैं और उन्हें ऑफ़िस में भी सहकर्मियों से संबंध बनाने में समस्याएँ आती हैं। दूसरी तरफ़, जो लोग मित्रतापूर्ण संबंध बनाने का तरीक़ा जानते हैं, वे अपने ऑफ़िस और परिवार में ख़ासे लोकप्रिय होते हैं।
जैक बेनी की मौत के ठीक बाद टी.वी. पर जॉर्ज बर्न्स का इंटरल्यू लिया गया। ‘जैक और मेरी अद्भुत मित्रता लगभग 55 साल पुरानी है,’ बर्न्स ने कहा। ‘मेरी परेशानी में उसने कभी मेरा साथ नहीं छोड़ा। उसकी परेशानी में मैं उसे छोड़कर दूर नहीं गया। हम एक साथ हँसे, हम एक साथ खेले, हमने एक साथ काम किया, हमने एक साथ खाया। मेरे ख़्याल से हम एक दूसरे से हर दिन बातें करते थे।’
अगर हमें इन दोनों के बारे में कुछ और मालूम न हो, तब भी हम यह अनुमान तो लगा सकते हैं कि जीवन के दूसरे क्षेत्रों में भी इनके रिश्ते काफ़ी मज़बूत होंगे। क्यों ? क्योंकि मित्रता सभी अंतरंग रिश्तों का आधारभूत तत्व है। समाजवैज्ञानिक एन्ड्रयू ग्रीले के अनुसार, अच्छे विवाह के दो मूलभूत तत्व हैं : मित्रता और सेक्स।
अपने माता-पिता और बच्चों के साथ हमारे रिश्तों का क्या आधार होना चाहिये ? टाइम-लाइफ़, इंक. के संस्थापक हेनरी ल्यूस ने विश्व चिंतन को जितना प्रभावित किया है, उतना शायद किसी और प्रकाशक ने नहीं किया होगा। उनकी पत्रिकाएँ 200 देशों में 1.3 करोड़ लोगों तक पहुँचाती थीं। उन्होंने न सिर्फ़ वित्तीय साम्राज्य स्थापित किया, बल्कि आधुनिक पत्रकारिता में भी क्रांति कर दी।
ल्यूस अक्सर अपने बचपन का प्रसंग बताते थे। वे एक मिशनरी के पुत्र थे और उनका बचपन चीन में गुज़रा था। शाम को वे अपने पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे और उनके पिता उनसे इस तरह बात करते थे जैसे उनका बेटा भी वयस्क हो। स्कूल चलाने की समस्याओं से लेकर अपने दिमाग में घुमड़ रहे दार्शनिक सवालों तक हर विचार वे अपने पुत्र को बताते थे। ल्यूस कहते हैं, ‘वे मुझसे इस तरह व्यवहार करते थे, जैसे मैं उनकी बराबरी का हूँ।’ मित्रता के कारण उनका बंधन मज़बूत था और पिता-पुत्र दोनों को ही इस रिश्ते से भावनात्मक पोषण मिला।
महिलाओं के ज़्यादा मित्र क्यों होते हैं
‘क्या आप किसी के क़रीब हैं ?’ मैंने पूछा। ‘क्या कोई ऐसा व्यक्ति है, जिसे आप अपनी हर बात कह सकती हैं ?’ वह मेरी नयी मरीज़ थी, जो तलाक़ के सदमे से उबर रही थी और मैं यह पता लगाना चाहता था कि क्या उसे साइकोथैरेपी की ज़रूरत है।
‘अरे हाँ,’ उसने उत्साह से जवाब दिया। ‘उनके बिना तो मैं इस मुश्किल से जूझ ही नहीं पाती। दरअसल वे मुझसे उम्र में 26 साल बड़ी हैं, लेकिन हम दोनों एक दूसरे को अपने सारे रहस्य बता देती हैं। हमारी दोस्ती ज़िंदगी भर की है।’
वह महिला ख़ुशकिस्मत है और एक घंटे बाद हम दोनों ही इस नतीजे पर पहुँचे कि जब तक उसके पास इतनी वफ़ादार सहेली है, तब तक उसे डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।
पुरुषों में इस तरह की मित्रताएँ दुर्लभ क्यों होती हैं ? सामाजिक परंपराओं के कारण। हमारे समाज में हाथ मिलाने के अलावा पुरुषों के बीच किसी तरह के शारीरिक स्पर्श को पसंद नहीं किया जाता। डिक और पॉला मैक्डॉनल्ड इस बात को स्पष्ट करते हैं :
ज़्यादातर पुरुषों को अंतरंगता की कला का ज़्यादा अभ्यास नहीं होता, न ही उनके कोई रोल मॉडल होते हैं। स्कूल जाने वाली बच्चियाँ एक दूसरे का हाथ पकड़कर जा सकती हैं, स्केटिंग करते वक़्त एक दूसरे को सहारा दे सकती हैं, गले लगाकर रो सकती हैं, और एक दूसरे से कह सकती हैं, ‘तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो। मुझे तुम्हारी ज़रूरत है। मैं तुमसे प्यार करती हूँ।’ परंतु छोटे लड़के ऐसा करने या कहने की हिम्मत नहीं कर सकते। उनके संबंधों के बीच समलैंगिकता का राक्षस हमेशा मौजूद रहता है। इसके अलावा, शारीरिक स्पर्श को दरअसल लड़कीछाप व्यवहार समझा जाता है। चूंकि हर छोटा लड़का लड़कीपन छवि से डरता है, इसलिये वह अपने दोस्तों के साथ शारीरिक स्पर्श से बचता है, बड़े हो जाने के बाद भी।
न सिर्फ़ दोस्तों के साथ वह ऐसा व्यवहार करता है, बल्कि अपनी ज़िंदगी में आने वाली महिलाओं के साथ भी वह ऐसा ही व्यवहार करता है।
अमेरिका के अग्रणी मनोवैज्ञानिक और मनोविश्लेषकों से पूछा गया कि कितने पुरुषों के सच्चे मित्र होते होंगे। जवाब था ‘ज़्यादा नहीं’, या ‘बहुत कम।’ ज़्यादातर का अनुमान था, लगभग 10 प्रतिशत। सैन फ़्रांसिस्को में ह्यूमनिस्टिक साइकोलॉजी इंस्टीट्यूट के प्रोफ़ेसर रिचर्ड फ़ारसन का कहना है, ‘अमेरिका के लाखों-करोड़ों लोगों ने अपनी पूरी ज़िंदगी में कभी एक मिनट भी ऐसा नहीं पाया, जब वे अपनी सबसे अंतरंग और गहरी भावनाएँ किसी दूसरे व्यक्ति को खुलकर बतायें।’
चूँकि बहुत कम पुरुष किसी रिश्ते में खुल पाते हैं या अंतरंग हो पाते हैं, इसलिए ये वे कभी यह जान ही नहीं पाते कि उनके भावनात्मक जीवन में कितनी बड़ी कमी है, कितना बड़ा ख़ालीपन है। संक्षेप में, उन्हें पता ही नहीं होता कि उनके पास किस चीज़ की कमी है।
हो सकता है ऐसे लोग अमीर हों, हो सकता है अमीर न हों। हो सकता है ये लोग बहुत बुद्धिमान या उच्च-शिक्षित हों, हो सकता है न हों। बहरहाल उनके व्यक्तित्व में कोई न कोई ऐसी बात होती है, जिसकी वजह से वे लोकप्रिय होते हैं और लोग उन्हें पसंद करते हैं। यही मित्रता का तत्व है।
परामर्शदाता के रूप में मुझे इंसानी रिश्तों की खिड़की में से झाँकने का मौक़ा मिला है। मैंने हज़ारों लोगों से उनके अंतरंग संबंधों के बारे में चर्चा की है। मैंने ग़ौर से देखा है कि सफल प्रेमी क्यों और कैसे सफल होते हैं और मैंने उनके रहस्य जाने हैं। इस पुस्तक का लक्ष्य आपको इन्हीं रहस्यों के बारे में बताना है।
मित्रता का तत्व आपको अंतरंग संबंधों का विशेषज्ञ बना सकता है
हमारे क्लीनिक में किये रिसर्च में हमने पाया कि मित्रता वह स्प्रिंगबोर्ड है, जिससे बाक़ी सभी तरह का प्रेम उत्पन्न होता है। मित्रता जीवन के बाक़ी सभी महत्तवपूर्ण संबंधों का आधारभूत तत्व है। जिन लोगों की किसी से मित्रता नहीं होती, वे किसी भी क़िस्म का प्रेम करने में तुलनात्मक रूप से कम सक्षम होते हैं। वे कई बार विवाह करते हैं, अपने परिवार के सदस्यों से दूर हो जाते हैं और उन्हें ऑफ़िस में भी सहकर्मियों से संबंध बनाने में समस्याएँ आती हैं। दूसरी तरफ़, जो लोग मित्रतापूर्ण संबंध बनाने का तरीक़ा जानते हैं, वे अपने ऑफ़िस और परिवार में ख़ासे लोकप्रिय होते हैं।
जैक बेनी की मौत के ठीक बाद टी.वी. पर जॉर्ज बर्न्स का इंटरल्यू लिया गया। ‘जैक और मेरी अद्भुत मित्रता लगभग 55 साल पुरानी है,’ बर्न्स ने कहा। ‘मेरी परेशानी में उसने कभी मेरा साथ नहीं छोड़ा। उसकी परेशानी में मैं उसे छोड़कर दूर नहीं गया। हम एक साथ हँसे, हम एक साथ खेले, हमने एक साथ काम किया, हमने एक साथ खाया। मेरे ख़्याल से हम एक दूसरे से हर दिन बातें करते थे।’
अगर हमें इन दोनों के बारे में कुछ और मालूम न हो, तब भी हम यह अनुमान तो लगा सकते हैं कि जीवन के दूसरे क्षेत्रों में भी इनके रिश्ते काफ़ी मज़बूत होंगे। क्यों ? क्योंकि मित्रता सभी अंतरंग रिश्तों का आधारभूत तत्व है। समाजवैज्ञानिक एन्ड्रयू ग्रीले के अनुसार, अच्छे विवाह के दो मूलभूत तत्व हैं : मित्रता और सेक्स।
अपने माता-पिता और बच्चों के साथ हमारे रिश्तों का क्या आधार होना चाहिये ? टाइम-लाइफ़, इंक. के संस्थापक हेनरी ल्यूस ने विश्व चिंतन को जितना प्रभावित किया है, उतना शायद किसी और प्रकाशक ने नहीं किया होगा। उनकी पत्रिकाएँ 200 देशों में 1.3 करोड़ लोगों तक पहुँचाती थीं। उन्होंने न सिर्फ़ वित्तीय साम्राज्य स्थापित किया, बल्कि आधुनिक पत्रकारिता में भी क्रांति कर दी।
ल्यूस अक्सर अपने बचपन का प्रसंग बताते थे। वे एक मिशनरी के पुत्र थे और उनका बचपन चीन में गुज़रा था। शाम को वे अपने पिता के साथ लंबी सैर पर जाते थे और उनके पिता उनसे इस तरह बात करते थे जैसे उनका बेटा भी वयस्क हो। स्कूल चलाने की समस्याओं से लेकर अपने दिमाग में घुमड़ रहे दार्शनिक सवालों तक हर विचार वे अपने पुत्र को बताते थे। ल्यूस कहते हैं, ‘वे मुझसे इस तरह व्यवहार करते थे, जैसे मैं उनकी बराबरी का हूँ।’ मित्रता के कारण उनका बंधन मज़बूत था और पिता-पुत्र दोनों को ही इस रिश्ते से भावनात्मक पोषण मिला।
महिलाओं के ज़्यादा मित्र क्यों होते हैं
‘क्या आप किसी के क़रीब हैं ?’ मैंने पूछा। ‘क्या कोई ऐसा व्यक्ति है, जिसे आप अपनी हर बात कह सकती हैं ?’ वह मेरी नयी मरीज़ थी, जो तलाक़ के सदमे से उबर रही थी और मैं यह पता लगाना चाहता था कि क्या उसे साइकोथैरेपी की ज़रूरत है।
‘अरे हाँ,’ उसने उत्साह से जवाब दिया। ‘उनके बिना तो मैं इस मुश्किल से जूझ ही नहीं पाती। दरअसल वे मुझसे उम्र में 26 साल बड़ी हैं, लेकिन हम दोनों एक दूसरे को अपने सारे रहस्य बता देती हैं। हमारी दोस्ती ज़िंदगी भर की है।’
वह महिला ख़ुशकिस्मत है और एक घंटे बाद हम दोनों ही इस नतीजे पर पहुँचे कि जब तक उसके पास इतनी वफ़ादार सहेली है, तब तक उसे डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।
पुरुषों में इस तरह की मित्रताएँ दुर्लभ क्यों होती हैं ? सामाजिक परंपराओं के कारण। हमारे समाज में हाथ मिलाने के अलावा पुरुषों के बीच किसी तरह के शारीरिक स्पर्श को पसंद नहीं किया जाता। डिक और पॉला मैक्डॉनल्ड इस बात को स्पष्ट करते हैं :
ज़्यादातर पुरुषों को अंतरंगता की कला का ज़्यादा अभ्यास नहीं होता, न ही उनके कोई रोल मॉडल होते हैं। स्कूल जाने वाली बच्चियाँ एक दूसरे का हाथ पकड़कर जा सकती हैं, स्केटिंग करते वक़्त एक दूसरे को सहारा दे सकती हैं, गले लगाकर रो सकती हैं, और एक दूसरे से कह सकती हैं, ‘तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो। मुझे तुम्हारी ज़रूरत है। मैं तुमसे प्यार करती हूँ।’ परंतु छोटे लड़के ऐसा करने या कहने की हिम्मत नहीं कर सकते। उनके संबंधों के बीच समलैंगिकता का राक्षस हमेशा मौजूद रहता है। इसके अलावा, शारीरिक स्पर्श को दरअसल लड़कीछाप व्यवहार समझा जाता है। चूंकि हर छोटा लड़का लड़कीपन छवि से डरता है, इसलिये वह अपने दोस्तों के साथ शारीरिक स्पर्श से बचता है, बड़े हो जाने के बाद भी।
न सिर्फ़ दोस्तों के साथ वह ऐसा व्यवहार करता है, बल्कि अपनी ज़िंदगी में आने वाली महिलाओं के साथ भी वह ऐसा ही व्यवहार करता है।
अमेरिका के अग्रणी मनोवैज्ञानिक और मनोविश्लेषकों से पूछा गया कि कितने पुरुषों के सच्चे मित्र होते होंगे। जवाब था ‘ज़्यादा नहीं’, या ‘बहुत कम।’ ज़्यादातर का अनुमान था, लगभग 10 प्रतिशत। सैन फ़्रांसिस्को में ह्यूमनिस्टिक साइकोलॉजी इंस्टीट्यूट के प्रोफ़ेसर रिचर्ड फ़ारसन का कहना है, ‘अमेरिका के लाखों-करोड़ों लोगों ने अपनी पूरी ज़िंदगी में कभी एक मिनट भी ऐसा नहीं पाया, जब वे अपनी सबसे अंतरंग और गहरी भावनाएँ किसी दूसरे व्यक्ति को खुलकर बतायें।’
चूँकि बहुत कम पुरुष किसी रिश्ते में खुल पाते हैं या अंतरंग हो पाते हैं, इसलिए ये वे कभी यह जान ही नहीं पाते कि उनके भावनात्मक जीवन में कितनी बड़ी कमी है, कितना बड़ा ख़ालीपन है। संक्षेप में, उन्हें पता ही नहीं होता कि उनके पास किस चीज़ की कमी है।
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